शनिवार 26 अप्रैल 2025 - 15:29
अक़्ल धर्म की खोई हुई कड़ी है

हौज़ा / गुरगान से हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल्लाह शाहिनी ने अलज़हेरा (स.ल.) स्पेशलाइज्ड इस्लामिक स्कूल में तलबा के बीच एक सभा में कहा,अक़्ल धर्म के पालन में एक बहुत अहम और गुमशुदा कड़ी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, गुरगान/हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल्लाह शाहिनी ने अलज़हरा (स.ल.) स्पेशलाइज्ड इस्लामिक स्कूल में तलबा के बीच एक सभा में कहा,अक़्ल धर्म के पालन में एक बहुत अहम और गुमशुदा कड़ी है।

उन्होंने इमाम सादिक़ (अ.स.) की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा कि धर्म को समझने और फैलाने में अक़्ल का बहुत बड़ा रोल है समाज में अक़्ल और सोच को बढ़ाना ज़रूरी है।

उन्होंने किताब उसूले काफ़ी के अक़्ल और जिहालत (अज्ञानता) वाले हिस्से का ज़िक्र करते हुए कहा कि यहाँ जिहालत का मतलब अनपढ़ होना नहीं है बल्कि बेअक़्ली है।

शाहिनी साहब ने इमाम सादिक़ अ.स. से एक हदीस सुनाते हुए कहा,अक़्ल और जिहालत, दोनों के अपने-अपने अलग-अलग सैनिक (लश्कर) होते हैं।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा,आज के समाज में अक़्ल और सोचने-समझने की बहुत कमी है। जो इंसान सच में अक़्लमंद होता है, वही सच्चा इंसान है।आगे उन्होंने कहा,धर्म का पालन भावनाओं, रिवाजों या पारिवारिक परंपराओं पर नहीं होना चाहिए। हमें अपने अक़्ल के आधार पर धर्म तक पहुँचना चाहिए। केवल जोश से नहीं, बल्कि समझदारी से धर्म की ओर लोगों को लाना चाहिए।

उन्होंने इमाम सादिक़ (अ.स.) के हवाले से कहा,इबादत इंसान को आगे बढ़ाती है, लेकिन इस तरक्की की असली ताकत अक़्ल और समझ है।

शाहिनी साहब ने आगे कहा,इमाम सादिक़ (अ.स.) ने बताया है कि सिर्फ रिवायतों को पढ़ लेना काफी नहीं है, बल्कि उनके मतलब को सही तरह से समझना बहुत ज़रूरी है।समाज में धर्म से दूर होने की एक बड़ी वजह धर्म को गलत तरीके से समझना है।

अंत में उन्होंने अक़्ल के फायदों को गिनाते हुए कहा,अक़्ल से अल्लाह की एकता को समझा जा सकता है,अच्छाई और बुराई की पहचान होती है सवाब (पुण्य) और जन्नत (स्वर्ग) पाने का रास्ता अक़्ल से तय होता है,अक़्ल इंसान की असली पहचान है,अक़्ल मोमिन का मार्गदर्शक है,और सबसे अक़्लमंद वही है, जो सबसे अच्छा स्वभाव रखता है।

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